सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ मनाई मां कर्मा जयंती, शहर में निकली वाहन रैली बुजुर्गों, प्रतिभावान छात्रों का किया सम्मान
प्रदेश सत्ता ब्यूरो मोहन प्रजापति
बैतूल। मां कर्मा साहू समाज नगर समिति द्वारा मां कर्मा जयंती का भव्य आयोजन बैतूल नगर में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत कलश यात्रा से हुई, जिसके बाद विभिन्न मार्गों से निकली वाहन रैली में सैकड़ों सामाजिक जनों ने भाग लिया। इसके बाद नागदेव मंदिर सदर में समिति द्वारा वाहन रैली के जलपान की व्यवस्था की गई। उसके बाद, कर्मा मंगल भवन में 75 वर्ष पूर्ण किए बुजुर्गों का सम्मान, प्रतिभावान छात्रों का सम्मान, सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागीयों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार वितरित किए गए। सभी उपस्थित सामाजिक जनों ने
फाग उत्सव मना कर हर्षोल्लास से फूलों की होली खेली। भोजन प्रसाद के बाद कार्यक्रम का समापन किया गया।मां कर्मा जयंती के अवसर पर काली चट्टान स्थित कर्मा भवन में आयोजित कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने उत्साह और उत्सव भावना के साथ भाग लिया। कार्यक्रम में स

माज के नेतृत्वीय व्यक्तियों ने समाज की उन्नति और सामूहिक विकास की बात की। यहां तक कि युवा एवं बच्चों को भी समाज के मूल्यों और संस्कृति के प्रति समर्पित करने के लिए प्रेरित किया गया। इस अवसर पर समाज के सदस्यों ने एक-दूसरे के साथ सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से जुड़ने का बड़ा संदेश भी दिया। इस विशेष आयोजन में सामाज की संस्कृति के महत्व को बढ़ावा दिया गया, जहां समाज के लोगों ने भगवान की पूजा और आदर्शों के प्रति अपना समर्पण प्रकट किया। साथ ही, छोटे बच्चों को भी अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता और समाज का म
हत्व बताया गया। इसके साथ ही, वृद्धों का सम्मान और समाज में उनकी अहम भूमिका को विशेष रूप से माना गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथियों ने कहा कि इस कार्यक्रम ने समाज में एकता, सामूहिकता, और परंपरागत मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आयोजन के माध्यम से समाज ने एकता का संदेश दिया। यह आयोजन समाज में सामूहिक भावना और सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ, अगली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति उत्साहित करता है। इसे एक सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव के रूप में देखा जा सकता है, जो समाज के विकास और एकता को प्रोत्साहित करता है। इस आयोजन ने समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया कि समाज की सबसे मौलिक शक्ति उसके सदस्यों में एकता और सामूहिक भावना में होती है। इसके माध्यम से, सामाजिक जनों को यह भी याद दिलाया गया कि हमें अपनी संस्कृति, धरोहर और उत्सवों को समृद्ध और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी स्वीकार करना चाहिए। यह आयोजन भविष्य के आयोजनों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बना।