मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन्दौर में दूषित जल आपूर्ति से संक्रमण को लिया गंभीरता से

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन्दौर में दूषित जल आपूर्ति से संक्रमण को लिया गंभीरता से
प्रभारी उप यंत्री को सेवा से किया बर्खास्त
जोनल अधिकारी, सहायक यंत्री और प्रभारी सहायक यंत्री निलंबित
जांच के लिए समिति गठित
इंदौर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जनसामान्य का स्वास्थ्य, राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित जल आपूर्ति से नागरिकों के संक्रमित होने की घटना को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। घटना में लापरवाही पाये जाने पर जोन क्रमांक–4 के जोनल अधिकारी, सहायक यंत्री एवं प्रभारी सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। प्रभारी उपयंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। मामले की गहन जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की समिति भी गठित कर दी गई है।
डायरिया के बढ़ रहे थे मामले
बताया जा रहा है कि पिछले एक सप्ताह से क्षेत्र में उल्टी, दस्त और बुखार के मरीज लगातार सामने आ रहे थे। 26 दिसंबर को गोमती रावत की मौत इस पूरे घटनाक्रम की पहली कड़ी थी। इसके बाद धीरे-धीरे बीमार लोगों की संख्या बढ़ती गई और पांच दिनों के भीतर मौतों का आंकड़ा आठ तक पहुंच गया। इसके बावजूद शुरुआती दौर में स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया गया। पहली मौत को पुरानी बीमारी बताकर मामला दबाने की कोशिश भी की गई, लेकिन जब हालात बिगड़ते चले गए तो प्रशासन हरकत में आया।
150 से अधिक लोग हुए बीमार
इस पूरे मामले का खुलासा उस समय हुआ जब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अचानक दिल्ली से इंदौर पहुंचे और वर्मा हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। इसके बाद सामने आया कि 150 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं और कई अस्पतालों में मरीज भर्ती हैं। वर्तमान में विभिन्न अस्पतालों में 125 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें वर्मा हॉस्पिटल में 30, ईएसआईसी हॉस्पिटल में 11, एमवाय हॉस्पिटल में 5, त्रिवेणी हॉस्पिटल में 7 और अरविंदो हॉस्पिटल में 2 मरीज शामिल हैं। अन्य निजी अस्पतालों में भी मरीज भर्ती हैं, जिनमें से कुछ की हालत में सुधार होने पर उन्हें छुट्टी दी जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया अभियान
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सर्वे और उपचार अभियान शुरू किया है। सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी के अनुसार अब तक 2703 घरों का सर्वे किया जा चुका है और करीब 12 हजार लोगों की जांच की गई है। इनमें से 1146 मरीजों को मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया जबकि 125 से अधिक मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। 18 मरीज उपचार के बाद स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। भागीरथपुरा की 15 गलियों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीमें घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रही हैं। गंभीर मरीजों को एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा क्लोरीन टैबलेट, जिंक और ओआरएस का वितरण भी किया जा रहा है।
शौचालय के नीचे से गुजर रही पाइप लाइन
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि भागीरथपुरा में पुलिस चौकी से लगे शौचालय के नीचे से गुजर रही मुख्य जल आपूर्ति लाइन में लीकेज था। आशंका जताई जा रही है कि इसी लीकेज के कारण गंदा पानी पेयजल लाइन में मिल गया, जिससे यह भयावह स्थिति पैदा हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वे पिछले 15 दिनों से बदबूदार और दूषित पानी आने की शिकायत कर रहे थे लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
इन पर हुई कार्रवाई
मामले में लापरवाही बरतने पर नगर निगम और पीएचई विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है। जोनल अधिकारी शालिग्राम शितोले को निलंबित किया गया है, प्रभारी सहायक अभियंता योगेश जोशी को सस्पेंड किया गया है, जबकि प्रभारी डिप्टी इंजीनियर शुभम श्रीवास्तव की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके अलावा तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है जिसकी अध्यक्षता आईएएस नवजीवन पंवार कर रहे हैं।
दो-दो लाख मुआवजे की घोषणा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले का संज्ञान लेते हुए मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि 70 से अधिक पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और सभी मरीजों का इलाज पूरी तरह सरकारी खर्च पर किया जाएगा। जिन लोगों ने इलाज के लिए निजी अस्पतालों में पैसे जमा किए हैं, उन्हें भी राशि वापस दिलाई जाएगी।
फिलहाल क्षेत्र में 50 टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है और लोगों को उबला हुआ पानी पीने, बाहर का खाना न खाने और किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने की सलाह दी जा रही है।



