पुरुषों के लिए भी बनेगी गर्भनिरोधक गोली, साइंटिस्ट ने पास किया पहला ह्यूमन सेफ्टी टेस्ट

नई दिल्ली
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली की दिशा में एक बड़ी कामयाबी मिली है. YCT-529 नाम की इस नई गोली ने पहला ह्यूमन सेफ्टी टेस्ट पास कर लिया है. ये गोली बिना हार्मोन के पुरुषों में शुक्राणु (स्पर्म) बनने की प्रक्रिया को रोकती है. अभी ये शुरुआती टेस्ट था, जिसमें 16 लोगों पर जांच की गई कि गोली शरीर में सही मात्रा में पहुंचती है या नहीं और क्या इससे कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं.
अच्छी खबर ये है कि कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं दिखा. अब ये गोली बड़े टेस्ट्स की ओर बढ़ रही है, जहां इसकी सेफ्टी और असर दोनों की जांच होगी. आइए, समझते हैं कि ये गोली क्या है? कैसे काम करती है? पुरुषों के लिए ये क्यों खास है?
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली: क्या है ये नया आविष्कार?
अभी तक पुरुषों के पास गर्भनिरोध के लिए सिर्फ दो विकल्प थे: कन्डोम और वासेक्टॉमी (नसबंदी). कन्डोम हर बार इस्तेमाल करना पड़ता है. वासेक्टॉमी एक स्थायी तरीका है, जिसे उलटना (रिवर्सल) मुश्किल होता है. लेकिन YCT-529 नाम की ये गोली पुरुषों के लिए नया और आसान विकल्प ला सकती है. ये गोली…
बिना हार्मोन के काम करती है: महिलाओं की गर्भनिरोधक गोलियों में हार्मोन होते हैं, जो कई बार साइड इफेक्ट्स जैसे मूड स्विंग्स या वजन बढ़ना लाते हैं. YCT-529 में ऐसा कुछ नहीं है.
शुक्राणु बनने से रोकती है: ये पुरुषों के शरीर में शुक्राणु बनाने की प्रक्रिया को अस्थाई तौर पर बंद कर देती है.
उलटने योग्य (रिवर्सिबल): गोली बंद करने के 4-6 हफ्तों में पुरुष की फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) वापस आ जाती है.
22 जुलाई 2025 को Communications Medicine जर्नल में इस टेस्ट के नतीजे छपे. यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने इस गोली को बनाया. YourChoice Therapeutics कंपनी इसके टेस्ट्स कर रही है.
कैसे काम करती है YCT-529?
YCT-529 गोली पुरुषों के शरीर में शुक्राणु बनने की प्रक्रिया को रोकती है. ये कैसे होता है, समझते हैं…
रेटिनॉइक एसिड रिसेप्टर अल्फा: हमारे शरीर में एक प्रोटीन होता है, जिसे रेटिनॉइक एसिड रिसेप्टर अल्फा कहते हैं. ये प्रोटीन शुक्राणु बनाने में अहम रोल निभाता है. इसे एक ताले की तरह समझिए, जिसमें विटामिन A (रेटिनॉइक एसिड) एक चाबी की तरह काम करता है. जब चाबी ताले में लगती है, तो शुक्राणु बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
YCT-529 का जादू: ये गोली उस चाबी को ताले में लगने से रोकती है. इससे शुक्राणु बनने की प्रक्रिया रुक जाती है. पुरुष अस्थाई तौर पर बांझ (इन्फर्टाइल) हो जाता है.
बिना हार्मोन: ये गोली हार्मोन को छूती तक नहीं, इसलिए इससे हार्मोनल बदलाव जैसे मूड स्विंग्स, वजन बढ़ना या यौन इच्छा में कमी जैसी समस्याएं नहीं होतीं.
वैज्ञानिकों ने इस गोली को बनाने के लिए रेटिनॉइक एसिड रिसेप्टर की संरचना को गहराई से समझा. कई अणुओं (मॉलिक्यूल्स) का टेस्ट किया, ताकि सही दवा बन सके.
पहला ह्यूमन टेस्ट: क्या हुआ?
पहला टेस्ट 16 पुरुषों (32 से 59 साल की उम्र) पर किया गया. ये टेस्ट सिर्फ ये देखने के लिए था कि…
क्या गोली शरीर में सही मात्रा में पहुंचती है?
क्या इससे कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे दिल की धड़कन, हार्मोन, सूजन, मूड या यौन स्वास्थ्य में बदलाव?
खास बात: सभी पुरुषों ने पहले वासेक्टॉमी (नसबंदी) करा रखी थी. ऐसा इसलिए, ताकि अगर गोली से कोई लंबा असर हुआ, तो प्रजनन क्षमता पर खतरा न हो.
टेस्ट का तरीका
कुछ लोगों को प्लेसीबो (बिना दवा की गोली) दी गई, कुछ को कम डोज (90 मिलीग्राम) और कुछ को ज्यादा डोज (180 मिलीग्राम). कुछ ने खाली पेट गोली खाई. कुछ ने खाना खाने के बाद ताकि ये देखा जाए कि खाना दवा के असर को कैसे प्रभावित करता है.
नतीजे
सभी डोज में गोली शरीर में अच्छी मात्रा में पहुंची. 180 मिलीग्राम डोज सबसे अच्छी थी. शायद यही भविष्य में इस्तेमाल होगी. कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं दिखा. न हार्मोन बदले.न मूड खराब हुआ. न यौन स्वास्थ्य प्रभावित हुआ. गोली दिन में एक बार लेने की जरूरत होगी, लेकिन ये पक्का अगले टेस्ट्स में तय होगा.
डॉ. स्टेफनी पेज (यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन) ने कहा कि ये पुरुषों के लिए नया गर्भनिरोधक विकल्प लाने की दिशा में पहला कदम है. हमें पुरुषों के लिए रिवर्सिबल तरीकों की सख्त जरूरत है.
जानवरों पर टेस्ट: क्या कहते हैं नतीजे?
इससे पहले YCT-529 का टेस्ट चूहों और बंदरों पर किया गया था…
चूहों पर: गोली लेने के 4 हफ्तों में शुक्राणु बनना बंद हो गया.
गोली बंद करने के 4-6 हफ्तों में प्रजनन क्षमता वापस आ गई.
मादा चूहों के साथ टेस्ट में 99% गर्भधारण रुका.
बंदरों पर: 2 हफ्तों में शुक्राणु की संख्या बहुत कम हो गई.
गोली बंद करने के 10-15 हफ्तों में पूरी फर्टिलिटी वापस आ गई.
इन नतीजों ने गोली को इंसानों पर टेस्ट करने का रास्ता खोला.
क्यों है ये गोली जरूरी?
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली कई मायनों में खास है…
जिम्मेदारी बांटना: अभी तक परिवार नियोजन (फैमिली प्लानिंग) का ज्यादातर बोझ महिलाओं पर है. ये गोली पुरुषों को भी जिम्मेदारी लेने का मौका देगी.
आजादी: पुरुषों को अपनी प्रजनन क्षमता पर ज्यादा नियंत्रण मिलेगा. वो खुद तय कर सकेंगे कि कब बच्चा चाहिए और कब नहीं.
सुरक्षित और आसान: कंडोम हर बार इस्तेमाल करना पड़ता है. वासेक्टॉमी स्थाई है. ये गोली रोज लेने का आसान और उलटने योग्य विकल्प है.
साइड इफेक्ट्स कम: क्योंकि ये हार्मोन-फ्री है, इससे मूड, वजन या यौन इच्छा पर असर होने की संभावना कम है.
गुंडा जॉर्ज (यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा), जिन्होंने इस गोली को बनाया है कहती हैं कि ये गोली कपल्स को ज्यादा विकल्प देगी. पुरुषों को परिवार नियोजन में बराबर का रोल देगी.
आगे क्या?
पहला टेस्ट पास होने के बाद अब बड़े टेस्ट्स की बारी है…
28 और 90 दिन का टेस्ट: अभी एक नया ट्रायल चल रहा है, जिसमें पुरुष 28 और 90 दिन तक YCT-529 लेंगे. इसमें सेफ्टी के साथ-साथ शुक्राणु की संख्या पर असर देखा जाएगा.
ज्यादा लोग शामिल होंगे: अगले टेस्ट्स में ज्यादा पुरुषों को शामिल किया जाएगा, ताकि साइड इफेक्ट्स की पूरी जांच हो सके.
महिलाओं के साथ टेस्ट: भविष्य में कपल्स पर टेस्ट होगा, ताकि ये देखा जाए कि गोली गर्भधारण को कितनी अच्छी तरह रोकती है.
मंजूरी का इंतजार: अगर सब ठीक रहा, तो 2030 तक ये गोली बाजार में आ सकती है.
नादजा मन्नोवेत्ज (YourChoice Therapeutics) ने कहा कि ये गोली उन पुरुषों पर टेस्ट की जा रही है, जिन्होंने वासेक्टॉमी कराई है या बच्चे नहीं चाहते, ताकि कोई जोखिम न हो.
चुनौतियां क्या हैं?
लंबा रास्ता: अभी ये गोली शुरुआती स्टेज में है। मंजूरी के लिए कई साल और टेस्ट्स चाहिए.
पुरुषों की स्वीकार्यता: क्या पुरुष रोज गोली खाने को तैयार होंगे? कुछ पुरुष इसे बोझ मान सकते हैं.
लागत: अगर गोली महंगी हुई, तो गरीब देशों में इसका इस्तेमाल मुश्किल हो सकता है.
साइड इफेक्ट्स: छोटे टेस्ट में साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे, लेकिन बड़े टेस्ट्स में कुछ छोटी-मोटी दिक्कतें सामने आ सकती हैं.
भारत के लिए क्या मायने?
भारत जैसे देश में, जहां आबादी नियंत्रण एक बड़ा मुद्दा है, ये गोली गेम-चेंजर हो सकती है. भारत में अभी कंडोम और वासेक्टॉमी के अलावा पुरुषों के लिए कोई आसान गर्भनिरोधक नहीं है. अगर YCT-529 सस्ती और आसानी से उपलब्ध हुई, तो…
महिलाओं का बोझ कम होगा: महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां, IUD या नसबंदी से बच सकेंगी।
परिवार नियोजन बेहतर होगा: कपल्स को ज्यादा विकल्प मिलेंगे, जिससे छोटा परिवार रखना आसान होगा.
सेहत में सुधार: दूषित पानी और गरीबी की वजह से कई बीमारियां फैल रही हैं. साफ पानी और बेहतर गर्भनिरोध से स्वास्थ्य सुधरेगा.