सतना में HIV कांड को लेकर बवाल, मानवाधिकार आयोग सदस्य और प्रशासन आमने-सामने

सतना
रविवार को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो व जिला प्रशासनिक अधिकारियों की बहस हो गई, जिसके बाद मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रिंयक कानूनगो ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जिला प्रशासन द्वारा मामले को दबाने के गंभीर आरोप लगाने का पोस्ट वायरल कर दिया। दरअसल मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो शहर के सिटी एसडीएम व प्रभारी सीएमएचओ पर इसलिए भडक़ उठे, क्योंकि एचआईवी कांड के पीडि़त अपने स्वजनों के साथ सुबह सात बजे सर्किट हाऊस में मौजूद नहीं दिखे।
लिहाजा मानवाधिकार आयोग के सदस्य सिटी एसडीएम व सीएमएचओ के ऊपर बरस पड़े और कहा उन्हें यहां स्वयं जाकर नहीं ला सकते थे। जबकि उन्हें सीएमएचओ डॉक्टर मनोज शुक्ला द्वारा यह बताया भी गया कि पीडि़त के स्वजनों ग्रामीण इलाकों में निवासरत होने की वजह से सुबह सात बजे सर्किट हाऊस आने से इंकार करते हुए दस बजे के बाद आने को तैयार थे। बावजूद इसके प्रियंका कानूनगो कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे।
रात नौ बजे मैसेज के जरिए बताई मिलने की इच्छा
जिला प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित होने की यात्रा पर निकले मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने अपने कटनी प्रवास के दौरान करीब रात नौ बजे सिटी एसडीएम को मैसेज के जरिए यह बताया कि उन्हें सर्किट हाऊस पर सुबह सात बजे एचआईवी ब्लड चढ़ाने वाले मामले में पीडि़तों से मुलाकात करनी है। लेकिन जब सुबह पीडि़त सर्किट हाऊस पर नहीं मिले तो वह प्रशासनिक अधिकारियों पर भडक़ उठें, जिस पर सिटी एसडीएम द्वारा बताया गया कि परिवार सुबह आने में असमर्थता बता रहे थे, लिहाजा उनके घर जाकर मिला जा सकता है।
प्रियंक कानूनगो को सुबह आठ बजे दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित मानवाधिकार पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में सम्मिलित होने जाना था इसलिए मामले को दबाने के आरोप लगाते हुए मानवाधिकार आयोग के सदस्य चित्रकूट के लिए रवाना हो गए।
मिलने का नहीं था कोई प्रोग्राम
प्रियंक कानूनगो का HIV पीड़ितों से मिलने जाने का कोई प्रोग्राम नहीं था और न ऐसा कोई कार्यक्रम जारी था। लिहाज अब यह बात होने लगी है कि क्या वह पीड़ित बच्चों के परिजन ऐसे मिलने नहीं जा सकते थे। वास्तविकता में मानवाधिकार आयोग की टीम पीड़ितों के बयान लेने 29 को आ रही है।
प्रमुख सवाल
-क्या इस प्रकार उन्हें सार्वजनिक रुप से सर्किट हाऊस बुलाना उनकी पहचान उजागर करने जैसा नहीं?
-क्या बिना पूर्व सूचना के पीडि़त को इस प्रकार बयान के लिए बुलाया जा सकता है?
-बिना जांच टीम में शामिल बिना ऑफिशियल मानवधिकार आयोग के सदस्य इस प्रकार पीडि़तों के बयान दर्ज कर सकते है?
हमे रात में यह सूचना मिलाी की उन्हें सुबह सात बजे पीडितों व उनके स्वजनों से मिलना है, लेकिन पीडितों के स्वजन इतना सुबह मिलने को तैयार नहीं थे। हालंकि उनके अधिकारिक यात्रा कार्यक्रम में इस बात का उल्लेख नहीं था- राहुल सिलाढिया, सिटी एसडीएम।



