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श्रद्धालुओं के लिए बड़ा बदलाव: बांके बिहारी मंदिर में एक बार में सिर्फ 200 भक्तों को ही मिलेगा दर्शन का मौका

नई दिल्ली 
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को सुव्यवस्थित करने के लिए रेलिंग लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति ने निर्णय लिया है कि मंदिर के चबूतरे से ही रेलिंग की व्यवस्था की जाएगी, जो गर्भगृह के सामने से होते हुए निकास द्वार तक जाएगी। इसके तहत श्रद्धालु निर्धारित रेलिंग के भीतर चलते हुए दर्शन करेंगे और दर्शन के बाद सीधे बाहर निकल सकेंगे, जिससे मंदिर परिसर में रुकने और अव्यवस्था की स्थिति नहीं बनेगी।

नई व्यवस्था के अनुसार एक रेलिंग के भीतर तीन कतारें बनाई जाएंगी, जिनमें एक समय में लगभग 200 श्रद्धालु प्रवेश से लेकर निकास द्वार तक रहेंगे। समिति के अनुसार श्रद्धालुओं को दर्शन में करीब तीन से चार मिनट का समय लगेगा। रेलिंग निर्माण की जिम्मेदारी मेरठ की कनिका कंस्ट्रक्शन को सौंपी गई है और दावा किया जा रहा है कि नए वर्ष से श्रद्धालु इसी व्यवस्था के तहत दर्शन कर सकेंगे।

वर्तमान में मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं के ठहराव के कारण भीड़ नियंत्रण में कठिनाई आ रही है। इसी समस्या को देखते हुए समिति ने कतारबद्ध दर्शन व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया है। तय डिजाइन के अनुसार गेट संख्या तीन और दो से श्रद्धालुओं को रेलिंग के जरिए मंदिर परिसर में प्रवेश दिया जाएगा। गेट संख्या तीन से प्रवेश करने वाली रेलिंग में तीन कतारें होंगी, जिनमें एक कतार महिलाओं के लिए और दो कतारें पुरुष श्रद्धालुओं के लिए निर्धारित रहेंगी। यहां से श्रद्धालु गर्भगृह के सामने दर्शन कर निकास द्वार संख्या चार से बाहर निकलेंगे।

वहीं गेट संख्या दो के बाहर चबूतरे से शुरू होने वाली रेलिंग में भी तीन कतारें होंगी। इनमें एक कतार महिलाओं, एक पुरुषों और तीसरी वीआईपी श्रद्धालुओं के लिए आरक्षित की गई है। इस मार्ग से प्रवेश करने वाले श्रद्धालु ठाकुरजी के दर्शन कर जगमोहन के सामने से घूमते हुए गेट संख्या एक से बाहर निकलेंगे। दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। उन्हें गेट संख्या पांच से प्रवेश दिया जाएगा और वे गेट संख्या तीन की ओर से बनाई गई रेलिंग के सहारे गर्भगृह तक पहुंचकर दर्शन करने के बाद गेट संख्या चार से बाहर निकल सकेंगे।

रेलिंग की डिजाइन विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों द्वारा तैयार की गई है। इन्हें दस गेज मोटी चादर से बनाया जा रहा है। खास बात यह है कि आवश्यकता पड़ने पर इन रेलिंगों को एक-दो दिन के लिए फोल्ड कर हटाया भी जा सकेगा और बाद में दोबारा लगाया जा सकेगा।

 

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