14 साल के बेटे की हत्या के आरोप में 58 दिन से जेल में बंद मां, SIT की जांच रिपोर्ट में साबित हुई निर्दोष

गुना
गुना में 15 साल के अभ्युदय जैन की मौत ने कर किसी को स्तब्ध कर दिया था. शुरू में हत्या का मामला माना गया यह केस अब विशेष जांच दल (SIT) की जांच के बाद आत्महत्या के रूप में सामने आया है. SIT की नई जांच और भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज की मेडिको-लीगल रिपोर्ट ने इस मामले में नाटकीय यू-टर्न लाया है. पिछले 58 दिनों से बेटे की हत्या के आरोप में जेल में बंद अभ्युदय की मां अलका जैन को एसआईटी ने निर्दोष पाया है. नई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण पार्शियल हैंगिंग (आंशिक फांसी) बताया गया, जो आत्महत्या की पुष्टि करता है. लेकिन इस खुलासे ने कई अनुत्तरित सवाल भी खड़े किए हैं, जो पुलिस की प्रारंभिक जांच और मेडिकल प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं.
दरअसल, 14 फरवरी 2025 को गुना की चौधरन कॉलोनी में किराए के मकान में रहने वाले अभ्युदय जैन (15) का शव घर के बाथरूम में मिला. गले में दुपट्टा और पैरों पर रस्सी के निशान होने से शुरू में आत्महत्या का संदेह हुआ.
पेशे से बैंक ऑडिटर अभ्युदय के पिता अनुपम जैन उस समय भोपाल में थे. उनकी पत्नी अलका जैन ने पुलिस को बताया कि वह सुबह बैडमिंटन खेलने गई थीं और लौटने पर घर का दरवाजा अंदर से बंद मिला. बार-बार खटखटाने और फोन करने के बाद भी जवाब न मिलने पर मकान मालिक की मदद से दरवाजा खोला गया, जहां अभ्युदय का शव मिला.
पुलिस की शुरुआती जांच
जिला अस्पताल में तीन डॉक्टरों के किए गए पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्ट्रैंगुलेशन (गला घोंटना) बताया गया. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स, और गवाहों के बयान खंगाले, जिसमें कोई बाहरी व्यक्ति घर में प्रवेश करता नहीं दिखा. पुलिस ने यह भी पाया कि अभ्युदय अपनी मां अलका को उनकी लाइफस्टाइल को लेकर टोकता था, जिससे दोनों के बीच तनाव रहता था. इन सबूतों के आधार पर 22 फरवरी को हत्या का मामला दर्ज किया गया और 8 मार्च को अलका जैन को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस का दावा था कि अलका ने गुस्से में बेटे का गला घोंटा और इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की.
अनुपम जैन की लड़ाई और SIT का गठन
अभ्युदय के पिता अनुपम जैन ने पुलिस की जांच को गलत ठहराया और अपनी पत्नी की बेगुनाही का दावा किया. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, दिल्ली से लेकर पुलिस मुख्यालय, भोपाल तक गुहार लगाई. अनुपम ने 11 बिंदुओं पर दोबारा जांच की मांग की, जिसमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट, कॉल डिटेल्स, और घटनास्थल के सबूतों की समीक्षा शामिल थी. उनके दबाव के बाद ग्वालियर रेंज के डीआईजी अमित सांघी के नेतृत्व में SIT का गठन हुआ.
नई पोस्टमार्टम रिपोर्ट
SIT ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम की दोबारा जांच कराई. डॉक्टरों की टीम ने नई मेडिको-लीगल रिपोर्ट में मौत का कारण पार्शियल हैंगिंग बताया, जो आत्महत्या की पुष्टि करता है. यह पहली रिपोर्ट से पूरी तरह उलट था, जिसमें स्ट्रैंगुलेशन का दावा किया गया था.
कॉल डिटेल्स
अलका के फोन रिकॉर्ड से पता चला कि वह घटना के समय लगातार फोन पर उपलब्ध थी. केवल 20 मिनट का अंतराल था, जिसमें कोई कॉल नहीं थी. SIT ने माना कि इतने कम समय में हत्या और उसे आत्महत्या का रूप देना संभव नहीं था. वहीं, घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था और चाबी टेबल पर रखी थी. सीसीटीवी में कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश करता नहीं दिखा.
मानसिक तनाव
अभ्युदय पढ़ाई को लेकर तनाव में था. वह कक्षा 8 का छात्र था और दो विषयों में फेल हो गया था. घटना वाले दिन हिंदी के पेपर में उसे 80 में से 28 अंक मिले थे. माता-पिता उसकी पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे, जिससे वह दबाव में था.
SIT की जांच के बाद अलका जैन को निर्दोष पाया गया. गुना पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने बताया कि प्रारंभिक पोस्टमार्टम में स्ट्रैंगुलेशन मार्क के आधार पर हत्या का केस दर्ज किया गया था, लेकिन गांधी मेडिकल कॉलेज की नई जांच ने फांसी की पुष्टि की. पुलिस अब इस मामले में खात्मा रिपोर्ट दाखिल करने की तैयारी में है.
SIT की जांच ने अलका जैन को राहत दी, लेकिन कई सवाल अब भी हवा में हैं:-
– यदि SIT की जांच सही है तो POLICE की पहली जांच रिपोर्ट किस आधार पर तैयार की गई थी ?
– पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इतना बड़ा बदलाव कैसे आया ?
– 14 साल के अभ्युदय जैन ने फांसी क्यों लगाई ?
– 58 दिनों से जेल में मां अलका जैन और पति अनुपम जैन को क्या वाकई में न्याय मिल पाया ?
– पुलिस ने जांच में इतनी जल्दबाजी क्यों की थी ?