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आधी रात में पारित हुआ मनरेगा समाप्त करने वाला बिल, अब वीबी जी राम जी कानून जल्द लागू

नई दिल्ली

संसद ने गुरुवार को विपक्ष के तीव्र विरोध और हंगामे के बीच विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी ) बिल पारित कर दिया. यह बिल 20 साल पुरानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल 125 दिनों की रोजगार की गारंटी देगा. राज्यसभा ने बिल को ध्वनि मत से पास किया. गुरुवार को ही दिन में लोकसभा ने भी इसे मंजूरी दी थी. विपक्ष ने बिल के पारित होने के दौरान जोरदार हंगामा किया.

विपक्ष का कहना है कि मौजूदा योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाकर सरकार उनकी स्मृति का अपमान कर रही है और राज्यों पर वित्तीय बोझ डाल रही है.राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने बिल वापस लेने की मांग की और सरकार के खिलाफ नारे लगाए. कई सदस्यों ने बिल की प्रतियां फाड़ दीं, जिस पर सभापति सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें ट्रेजरी बेंच की ओर न जाने की चेतावनी दी. हंगामे के बाद विपक्षी सदस्यों ने वॉकआउट किया और संसद परिसर में संविधान सदन के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
पूरी रात धरने पर बैठे टीएमसी सांसद

तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संविधान सदन की सीढ़ियों पर 12 घंटे का धरना देने का फैसला किया. विपक्ष ने बिल को संसदीय समिति के पास भेजने की भी मांग की थी. राज्यसभा में पांच घंटे की चर्चा के जवाब में ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिल का जोरदार बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह बिल ग्रामीण भारत के विकास और रोजगार अवसरों के लिए जरूरी है. चौहान ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने महात्मा गांधी के आदर्शों की कई बार हत्या की और उनके नाम का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया. मंत्री ने कहा कि यूपीए शासन में मनरेगा भ्रष्टाचार से ग्रस्त थी और सामग्री खरीद पर अपेक्षित धन खर्च नहीं हुआ.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना विकसित भारत बनाने का है, जिसमें गांवों का विकास अहम है. उन्होंने विपक्ष के हंगामे को लोकतंत्र का अपमान करार दिया और कहा कि सदन दादागिरी से नहीं चलेगा. चौहान ने दावा किया कि भाजपा ने गांधीजी को अपना आदर्श बनाया है और उनकी सामाजिक-आर्थिक विचारधारा को अपनाया है.
लोकसभा में 8 घंटे चली चर्चा

लोकसभा में भी आठ घंटे की चर्चा के दौरान विपक्ष ने कागज फाड़े और नारे लगाए. चौहान ने कहा कि मनरेगा अब पुरानी हो चुकी है और अब स्थायी संपत्तियां बनाने, जल संरक्षण, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और मौसम संबंधी कार्यों पर 10-11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है.

अब यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद सरकार इसे नोटिफाई करेगी और यह कानून बन जाएगा. बताया जा रहा है कि सरकार फरवरी में बजट सत्र से पहले इसे कानूनी शक्ल देना चाहती थी ताकि नए बजट में इस मद में धन राशि आवंटित की जा सके.

बिल पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा
इससे पहले  सदन में उक्त विधेयक पर देर रात तक चर्चा हुई और विपक्ष के अधिकतर सदस्यों ने इसे विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति को विचार-विमर्श के लिए भेजने की मांग की। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री के जवाब से पहले यह मांग फिर से उठाई जिसे आसन की ओर से अस्वीकार कर दिया गया।

सदन पर उछाले गए कागज, फाड़ी गई बिल की कॉपी?
इसके बाद विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच शिवराज सिंहचौहान ने अपना जवाब पूरा किया। हालांकि, उनके उत्तर के बाद सदन ने विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस दौरान आसन के समीप हंगामा कर रहे कुछ विपक्षी सदस्यों ने मंत्री के सामने कागज भी उछाले।

फैसले में सिविल अपीलों को मंजूर करते हुए शैला की पार्टिशन सूट को खारिज कर दिया गया. मामला केरल का है, जहां श्रीधरन की मौत के बाद 1990 में भाई-बहनों ने इंजेक्शन सूट दाखिल किया था और वसीयत की कॉपी पेश की थी. शैला ने उसमें हिस्सा नहीं लिया, जिसे कोर्ट ने बाद में उनके खिलाफ माना.

वोट के कारण कांग्रेस को बापू याद आए- शिवराज
उन्होंने कहा कि मनरेगा के नाम में पहले महात्मा गांधी का नाम नहीं था और इसका नाम नरेगा था, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले वोटों के कारण कांग्रेस को बापू याद आ गए और उनका नाम जोड़ा गया। चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत सरकार ने मनरेगा को भी ताकत के साथ लागू नहीं किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सही से क्रियानवित किया।

यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना
उन्होंने संप्रग और राजग सरकार के समय इस योजना के क्रियान्वयन की तुलना करते हुए कहा कि कांग्रेस के समय जहां 1660 करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए थे, वहीं मोदी सरकार में 3210 करोड़ श्रम दिवस का सृजन किया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से पहले इस योजना में महिलाओं की भागीदारी 48 प्रतिशत थी, जो इस सरकार के समय 56.73 प्रतिशत हो गई।

'कांग्रेस ने किया गांधी का नाम चुराने का पाप'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने तो गांधी का नाम चुराने का पाप किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सदन में कहा कि यह सरकार ‘सनक’ में नाम बदल रही है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम सनक में नाम नहीं बदल रहे, अपने परिवार के लोगों पर नाम रखने की सनक तो कांग्रेस की है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की सरकारों के समय सैकड़ों योजनाओं, इमारतों, उत्सवों, संस्थानों आदि के नाम गांधी परिवार के सदस्यों- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर रखे गए थे।

कांग्रेस पर जमकर बरसे केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस महात्मा गांधी का नाम लेकर ‘ढोंग’ कर रही है और उसने तो देश के बंटवारे के दिन, कश्मीर को विशेष दर्जा दिये जाने के साथ, इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाये जाने के दिन ही ‘‘बापू के आदर्शों की हत्या कर दी थी। उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इन्होंने बापू के आदर्शों को मारने का काम किया, मोदी सरकार ने उन्हे जिंदा रखने का काम किया।

सरकार इसलिए लाई नया बिल
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मनरेगा में कई तरह की कमियां थीं और उस आधार पर यह सरकार नया विधेयक लाई। उन्होंने कहा कि मनरेगा में 60 प्रतिशत पैसा मजदूरी के लिए और 40 प्रतिशत निर्माण सामग्री के लिए होता था, लेकिन विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों में मजदूरी का पूरा पैसा ले लिया जाता था, और सामग्री पर केवल 26 प्रतिशत तो कई राज्यों में केवल 19-20 प्रतिशत खर्च किया जाता था।

शिवराज ने आगे कहा कि कांग्रेस ने इस योजना को पूरी तरह भ्रष्टाचार के हवाले कर दिया था। उन्होंने कहा कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन वाले दिल पर हाथ रखकर बताएं कि क्या इसमें भ्रष्टाचार नहीं हुआ, पैसा इनकी जेबों में नहीं गया, इनके नेताओं ने लूट नहीं की। इस लूट को समाप्त करने और धनराशि का इस्तेमाल गरीबों के रोजगार के लिए ही होने के उद्देश्य को पूरा करने के वास्ते इसमें कमियों को दूर करना और पारदर्शिता लाना जरूरी था।

उन्होंने कहा कि नया विधेयक लाने से पहले इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि नए कानून में अधिक रोजगार का प्रावधान होगा और धनराशि का इस्तेमाल पूरी तरह विकासित गांव बनाने में किया जाएगा जो मोदी सरकार का संकल्प है। चौहान ने कहा कि इसके तहत सरकार ने ऐसे आदर्श गांव की कल्पना की है जहां रोजगार, शिक्षा, सुशासन, स्वच्छता हो, वहीं लोगों को पीने का शुद्ध जल नल से मिले, इलाज मिले, बच्चों को पोषण मिले, प्रकाश व्यवस्था हो और सड़कें पक्की हों।

शिवराज सिंह चौहान ने आदर्श और विकसित गांव बनाने के लिए अन्य कई गुण भी गिनाए। ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने तो इस योजना का बजट कम करने का पाप किया और इसे 40 हजार करोड़ रुपये से कम करके 35 हजार करोड़ रुपये कर दिया। मोदी सरकार ने इस योजना में 1 लाख 11 हजार करोड़ रुपये तक खर्च किए और इस साल बजट में 1,51,282 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। यह पैसा मजदूरी के लिए, गांवों के विकास के लिए है।

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