देश

कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर का क्या है हाल? परिवार का आरोप- नहीं दी जा रही मिलने की इजाजत

नई दिल्ली
ओडिशा ट्रेन हादसे के अब काफी दिन बीत चुके हैं। हालांकि, आज भी ट्रेन ड्राइवर के परिजनों को उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई है। कटक शहर से 10 किलोमीटर दूर नाहरपाड़ा गांव में हर जगह इसी बात की चर्चा है। लोग आपस में यही बातचीत करते सुनाई देते हैं कि क्या गुनानिधि मोहंती बहुत तेज गति से ट्रेन चल रहे थे? हालांकि, उनका परिवार इस बात से चिंतित और क्रोधित है कि उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है। पिता बिष्णु चरण मोहंती कहते हैं, ''गांव में हर कोई सोचता है कि दुर्घटना के लिए मेरा बेटा जिम्मेदार है। लेकिन वह पिछले 27 सालों से ट्रेन चला रहा है और उसने कभी गलती नहीं की। मुझे कैसे पता चलेगा कि उस शाम क्या हुआ था? मैंने अपने बेटे से बात भी नहीं की है। मैं केवल उसके घर आने का इंतजार कर रहा हूं।''

तीन ट्रेनें आपस में टकराई थी
आपको बता दें कि 2 जून को गुणनिधि मोहंती खड़गपुर से भुवनेश्वर तक कोरोमंडल एक्सप्रेस चला रहे थे। इसी दौरान बालासोर के बहानगा बाजार में ट्रेन एक लूप लाइन में चली गई। इसी लाइन पर पहले से एक मालगाड़ी खड़ी थी। दोनों की भिड़ंत हो गई। इसके बाद कई डिब्बे पटरी से उतर गए।  इसके बाद यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस भी आ टकराई। इस हादसे में 291 लोगों की मौत हो गई थी। 1100 से अधिक यात्री घायल हो गए थे।

हादसे में ड्राइवर भी हुए थे घायल
इस हादसे में ट्रेन ड्राइवर गुनानिधि मोहंती भी घायल हो गए थे। तीन टूटी हुई पसलियों और सिर में लगी चोटों के साथ उन्हें भुवनेश्वर के एएमआरआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद से पिता को लगातार अपने बेटे की वापसी का इंतजार है। आपको बता दें कि पिता पूर्व फौजी हैं।

भाई भी मिलने पहुंचे थे
दुर्घटना के दो दिन बाद गुणनिधि के छोटे भाई रंजीत मोहंती उनसे मिलने अस्पताल गए। उन्होंने बताया, ''आईसीयू में मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत नहीं थी। डॉक्टरों ने बताया कि हादसे के कारण उनके सीने के अंदर कुछ खून जमा हो गया है। वह गहरे दर्द में थे और बोल नहीं पा रहे थे। हालांकि मेरी भाभी वहां थीं, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि उन्हें भी उनके पास जाने की इजाजत है।'' गुनानिधि के बड़े भाई संजय मोहंती भी उसी दिन उनसे मिलने गए थे। उन्होंने कहा, ''वह तब आईसीयू में था। लेकिन उसके बाद हमें उनसे मिलने नहीं दिया गया।''

हेल्थ अपडेट्स देने से रेलवे का इनकार
ईस्ट कोस्ट रेलवे के चिकित्सा विभाग में कार्यरत एक डॉक्टर ने चार दिन पहले गुणानिधि को अस्पताल से छुट्टी दे दी थी। लेकिन उनके पिता और भाई अभी भी कहते हैं कि वे नहीं जानते हैं कि वह कहां है। रंजीत ने कहा, ''किसी ने हमें मेरे भाई के बारे में कुछ नहीं बताया। मुझे लगता है कि वह अभी भी अस्पताल में है। लेकिन मुझे यकीन नहीं है।'' वहीं, ईस्ट कोस्ट रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी ने उनकी स्वास्थ्य के बारे में कोई भी विवरण देने से इनकार कर दिया है। एएमआरआई अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लोको पायलट और सहायक लोको पायलट दोनों को 4-5 दिन पहले छुट्टी दे दी गई थी।

 

Related Articles

Back to top button