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यूक्रेन का मुद्दा उठा तो भड़क उठा चीन, जी-20 में साझा घोषणा पत्र पर फिर नहीं बनी बात

नई दिल्ली
 जी-20 देशों के मंत्रियों की एक और बैठक पर यूक्रेन विवाद की छाया रही। वाराणसी में सदस्यों देशों के विकास मंत्रियों की बैठक के बाद कोई साझा घोषणा पत्र जारी नहीं हो सका। संयुक्त घोषणा पत्र की जगह जो प्रपत्र जारी किया गया उसे 'आउटकम डाक्यूमेंट (परिणाम प्रपत्र) एंड चेयर्स समरी (अध्यक्ष देश का सार)' कहा गया।

यूक्रेन का जिक्र करने पर चीन नाराज
कारण यह रहा कि इस प्रपत्र में यूक्रेन विवाद का जिक्र किया गया है और परोक्ष तौर पर इसके लिए रूस को जिम्मेदार भी ठहराया गया है। लिहाजा रूस ने इस प्रपत्र से अपने आपको अलग कर लिया जबकि चीन का कहना है कि इसमें यूक्रेन का जिक्र नहीं होना चाहिए था। यह बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में हुई थी।

सभी देशों ने अपने हितों के संदर्भ में बात की: एस जयशंकर
इसके पहले जी-20 के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यूक्रेन विवाद का जिक्र होने की वजह से ही संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं किया जा सका था। बैठक के बाद प्रेस कॉंफ्रेंस में इस बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि किस देश ने समर्थन किया और किसने विरोध किया, मैं इसमें नहीं जाना चाहता। लेकिन सभी ने अपने हितों के संदर्भ में बात की।

पर्यावरण संतुलन स्थापित करने के लिए जारी किया गया प्रपत्र
जी-20 के विकास मंत्रियों की इस बैठक में सदस्य 20 देशों के अलावा भारत की तरफ से आमंत्रित अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। कुछ देशों के वित्त मंत्रियों ने तो कुछ देशों के समाजिक विकास मंत्रियों व अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने इसमें शिरकत की। बैठक के दौरान सहस्त्राब्दि लक्ष्यों को लेकर सात वर्षीय नई कार्ययोजना को जारी किया गया है। इसके अलावा पर्यावरण संतुलन स्थापित करने को सहयोग व साझेदारी बढ़ाने के लिए एक दूसरा प्रपत्र भी जारी किया गया।

शाम को जारी प्रपत्र में कुल 14 पैराग्राफ हैं जिसमें दो पैराग्राफ (10 व 11) यू्क्रेन विवाद से संबंधित हैं। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक इकोनमी पर बहुत ही गंभीर असर पड़ा है, इस पर बैठक में चर्चा हुई है। हमने अपने राष्ट्रीय पक्ष को यहां और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद व संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे दूसरे मंचों पर भी रखा है।

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