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यूपी की इन लोकसभा सीटों पर भाजपा को क्यों नहीं मिली कभी जीत? नहीं काम आया कोई समीकरण

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यूपी की चार लोकसभा सीटों पर भाजपा की विशेष निगाह है। इनमें दो सीटें रायबरेली और मैनपुरी हैं, जिनका अभेद्य किला अभी भगवा दल भेद नहीं पाया है। बाकी दो सीटें श्रावस्ती और अंबेडकर नगर हैं। भाजपा इन चार सीटों पर शोध करा रही है। शोध इस बात का कि सामाजिक समीकरण दुरुस्त होने के बावजूद आखिर पार्टी को इन सीटों पर सफलता क्यों नहीं मिल रही।

भाजपा में मोदी युग का आरंभ 2014 में हुआ। पार्टी ने तब 80 में से 73 लोकसभा सीटें जीत ली थीं। वहीं 2019 में भाजपा की झोली में 62 और एनडीए के पाले में 64 सीटें आईं। हारी हुई सीटों में रायबरेली और मैनपुरी ही ऐसी सीटें थीं, जहां कभी कमल नहीं खिल पाया है। मोदी की आंधी में भी यह किले नहीं ढहे। दरअसल, रायबरेली कांग्रेस की और मैनपुरी सपा का गढ़ रही है। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट के उपचुनाव में भी भगवा खेमे को करारी शिकस्त मिली थी। पहले इस फेहरिस्त में एक नाम अमेठी भी था मगर उसे 2019 में भाजपा ने कांग्रेस से छीन लिया था।

श्रावस्ती-अंबेडकरनगर में फेल हुई थी सोशल इंजीनियरिंग
भाजपा इन दोनों सीटों को केस स्टडी की तरह ले रही है। 2024 में पार्टी किसी भी तरह इन सीटों को कब्जाना चाहती है। दरअसल, रायबरेली हो या मैनपुरी, दोनों ही सीटों पर मुस्लिम आबादी बहुत कम है। बावजूद इसके तमाम प्रयासों के बाद भी भगवा खेमे को अभी सफलता नहीं मिल पाई है। इसके अलावा मिशन-2024 की दृष्टि से भाजपा का फोकस अंबेडकर नगर और श्रावस्ती लोकसभा सीटों पर भी है। वर्ष 2014 में जीती हुई इन दोनों सीटों को भाजपा ने 2019 में गंवा दिया था। दरअसल, तब इन दोनों सीटों पर भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग कामयाब नहीं हो पाई थी। हालांकि यह दोनों सीटें भी सामाजिक समीकरण के हिसाब से पार्टी के लिए मुफीद हैं।

 

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